विराम चिह्न Viram Chinh in Hindi || 20 Important Viram Chinh

विराम चिह्न (Viram Chinh ): संक्षिप्ति, ठहराव और अभिव्यक्ति के प्रतीक

विराम Viram Chinh , अर्थात् ठहराव—जब हम किसी विचार को प्रस्तुत करते हैं, तो वह हमेशा एक सतत प्रवाह में नहीं होता। विचारों के प्रवाह को स्पष्ट और भावनाओं को प्रकट करने के लिए अलग-अलग जगहों पर रुकना पड़ता है। लेखन में, इन रुकावटों को प्रकट करने के लिए विशेष चिह्नों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें हम ‘विराम चिह्न’ कहते हैं। इनका उद्देश्य न केवल भाषा को स्पष्ट और सुसंगठित बनाना है, बल्कि पाठक को भावों के सही अभिप्राय तक पहुँचाना भी है।

उदाहरण:

  • (i) “रोको, मत जाने दो।”
  • (ii) “रोको मत, जाने दो।”
    इन वाक्यों में विराम चिह्न के स्थान बदलने से अर्थ पूरी तरह से बदल जाता है—यह विराम चिह्नों की शक्ति को दर्शाता है।

विराम चिह्न की परिभाषा Viram Chinha Definition

विराम चिह्न (Viram Chinh) वे विशेष प्रतीक हैं, जो भाषा के लिखित स्वरूप को दिशा देते हैं। इनका उपयोग वाक्य को संरचना और भाव देने, उसे पढ़ने और समझने में सहायक बनता है। ये चिह्न न केवल वाक्यों के ढाँचे को स्पष्ट करते हैं, बल्कि संवाद के दौरान पाठकों को उचित ठहराव का संकेत देते हैं। लेखन में इनका योगदान वाक्य को प्रभावशाली और अर्थपूर्ण बनाता है।

Viram Chinha का अर्थ

हिंदी में ‘विराम’ का अर्थ रुकावट, और ‘चिह्न’ का मतलब प्रतीक है। इस तरह ‘विराम चिह्न’ का शाब्दिक अर्थ है ‘रुकावट के संकेत’। ये चिह्न हिंदी लेखन में सही ठहराव और भाव व्यक्त करने में सहायक होते हैं।

विराम चिह्न (Viram Chinh) के प्रकार और उनका प्रयोग

लेखन में विराम चिह्न Viram Chinh का सही प्रयोग पाठ को स्पष्ट, सुसंगठित और आकर्षक बनाता है। ये वाक्यों के बीच रुकावट, भाव, और श्रोताओं के साथ संवाद के सजीव तत्व जोड़ते हैं।

प्रमुख विराम चिह्न (Viram Chinh) और उनके उदाहरण

  • पूर्ण विराम (।) – जैसे, “वह बच्चा स्कूल जाता है।”
  • अल्पविराम (,) – जैसे, “मेरा नाम अनिता है, मैं दिल्ली में रहती हूँ।”
  • अर्द्धविराम (;) – जैसे, “उसने मेहनत से काम किया; परिणाम अच्छा था।”
  • कोलन (:) – जैसे, “आज का मुख्य समाचार यह है: स्पेस एजेंसी ने मिशन की घोषणा की।”
  • उद्धरण चिन्ह (“ ”) – जैसे, “वह बहुत अच्छा गाता है,” मेरे दोस्त ने कहा।
  • हाइफ़न (-) – जैसे, “मेरी गाड़ी नीली-हरी है।”

Viram Chinh ki Photo

Viram Chinh

विराम चिह्न के प्रकार Types of Viram Chinh in Hindi​

हिंदी व्याकरण में कई प्रकार के विराम चिह्न Viram Chinh होते हैं जो लेखन को दिशा देते हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  1. अल्पविराम (,)
  2. अर्द्धविराम (;)
  3. अपूर्ण विराम (:)
  4. पूर्ण विराम (।)
  5. प्रश्नसूचक चिह्न (?)
  6. सम्बोधन चिह्न (!)
  7. विस्मय सूचक चिह्न (!)
  8. अवतरण/उद्धरण चिह्न ‘ ’ / “ ”
  9. योजक/समास चिह्न (-)
  10. निदेशक (_____)
  11. विवरण चिह्न :(——)
  12. हंसपद (ˆ)
  13. संक्षेपण चिह्न (०)
  14. तुल्यता सूचक (=)
  15. कोष्ठक ( ) { } [ ]
  16. लोप चिह्न (……)
  17. समाप्ति सूचक (-०- — —)
  18. विकल्प चिह्न (/)
  19. पुनरुक्ति चिह्न (‘’ / ’’)
  20. संकेत चिह्न (*)

अल्पविराम ( , )

  • समान शब्दों को अलग करने के लिए: “राम ने आम, अमरुद, केले आदि खरीदे।”
  • उपवाक्यों के बीच अंतर करने हेतु: “हवा चली, पानी बरसा और ओले गिरे।”
  • संयोजक के बिना उपवाक्यों को जोड़ते समय: “अब्दुल ने सोचा, अच्छा हुआ जो मैं नहीं गया।”
  • क्रिया विशेषण के आने पर: “यह बात, यदि सच पूछो तो, मैं भूल ही गया था।”
  • उद्धरण से पहले: “उसने कहा, ‘‘मैं तुम्हें नहीं जानता।’’”
  • समय सूचक शब्दों के बीच: “कल गुरुवार, दि. 20 मार्च से परीक्षाएँ प्रारम्भ होंगी।”
  • सम्बोधन के बाद: “राधे, तुम आज भी विद्यालय नहीं गयीं।”
  • हाँ या अस्तु के बाद: “हाँ, तुम अन्दर आ सकते हो।”
  • पत्र में अभिवादन के साथ: “पूज्य पिताजी, भवदीय,”

अर्द्ध विराम ( ; )

  • उपवाक्यों में जहाँ अल्प विराम भी हो: “‘ध्रुवस्वामिनी’ में एक ओर ध्रुवस्वामिनी, मन्दाकिनी, कोमा आदि स्त्री पात्र हैं; दूसरी ओर रामगुप्त, चन्द्रगुप्त, शिखरस्वामी आदि पुरुष पात्र हैं।”
  • प्रधान उपवाक्य पर कई आश्रित उपवाक्य हों: “सूर्योदय हुआ; अन्धकार दूर हुआ; पक्षी चहचहाने लगे और मैं प्रातः भ्रमण को चल पड़ा।”
  • विरोधी अर्थ वाले उपवाक्यों में: “जो पेड़ों को पत्थर मारते हैं; वे उन्हें फल देते हैं।”
  • अधिक जोर देने के लिए: “मेहनत ही जीवन है; आलस्य ही मृत्यु।”

अपूर्ण विराम ( : )

  • समानाधिकरण उपवाक्यों के बीच बिना संयोजक: “छोटा सवाल : बड़ा सवाल, परमाणु विस्फोट : मानव जाति का भविष्य।”

पूर्ण विराम ( । )

  • साधारण वाक्य समाप्ति पर: “मजीद खाना खाता है।, यदि राम पढ़ता, तो अवश्य उत्तीर्ण होता।”
  • अप्रत्यक्ष प्रश्नवाचक वाक्य पर: “उसने बताया नहीं कि वह कहाँ जा रहा है।”
  • काव्य के चरणों के अंत में: “रघुकुल रीति सदा चलि आई। प्राण जाय पर वचन न जाई।”

प्रश्न सूचक चिह्न ( ? )

  • प्रश्नवाचक वाक्यों में: “तुम कहाँ रहते हो ?, उसकी पुस्तक किसने ली ?, राम घर पर आया या नहीं ?”

सम्बोधक चिह्न ( ! )

  • पुकारने या बुलाने में: “हे प्रभो ! अब यह जीवन नौका तुम्हीं से पार लगेगी।, मोहन ! इधर आओ।”

विस्मय सूचक चिह्न ( ! )

  • हर्ष, शोक, या भय आदि के लिए: “वाह, क्या ही सुन्दर दृश्य है। हाय ! अब मैं क्या करूँ ?”

अवतरण चिह्न (‘‘ ’’)

  • किसी के कथन को उद्धृत करने में: “महावीर ने कहा, ‘‘अहिंसा परमोधर्मः।’’”
  • पुस्तक, लेख आदि के नाम पर एकल उद्धरण: “रामधारीसिंह ‘दिनकर’ ओज के कवि हैं।”

योजक चिह्न (-)

  • दो शब्द जोड़ने के लिए: “सुख-दुख, माता-पिता”
  • पुनरुक्त शब्दों में: “पात-पात, डाल-डाल”
  • तुलनावाचक शब्दों से पहले:  “भरत-सा भाई, यशोदा-सी माता”

निर्देशक (———-)

  • नाटक में संवाद के लिए: “मणिमाला -क्या ?”
  • संबंधित वस्तुओं की सूची में: “काल तीन प्रकार के होते हैं – भूतकाल, वर्तमानकाल, भविष्यत्काल।”
  • अचानक अधूरी बात छोड़ते समय: “यदि आज पिताजी जीवित होते—- पर अब”
  • किसी वाक्य के बीच में वाक्य लाने पर: “महामना मदनमोहन मालवीय-ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे-भारत की महान विभूति थे।”

विकल्प चिह्न (/)

  • विकल्प देने के लिए: “कवयित्री/कवियत्री या दोनों शब्द समानार्थी हैं।”

संक्षेपण चिह्न 0

  • संक्षिप्त रूप में किसी नाम का संकेत करने हेतु: “संयुक्त राष्ट्र संघ → सं. रा. सं.”

समता सूचक चिह्न (=)

  • समानार्थक बताने के लिए: “भानु = सूर्य, 1 रुपया = 100 पैसे”

कोष्ठक: ( ), { }, [ ]

  • पद का अर्थ स्पष्ट करने हेतु: “मुँह की उपमा मयंक (चन्द्रमा) से दी जाती है।”

लोप चिह्न ………

  • अंश छोड़ने पर: “बोलो, बड़ी माँ ……. तुम गाँव छोड़कर चली तो नहीं जाओगी ?”

समाप्ति चिह्न —0–

  • अध्याय की समाप्ति पर: “अध्याय समाप्त —0–”

पुनरुक्ति चिह्न ,, ,,

  • ऊपर लिखे किसी बात को दोहराने हेतु: “श्री सोहनलाल                       श्री गोविन्द लाल”

इस प्रकार, हर विराम चिह्न का विशेष स्थान और अर्थ होता है जो वाक्य में भाव स्पष्ट करने में सहायक होता है।

Pichla

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