Upma Alankar Ki Paribhasha 2 important prakar aur Udaharan

उपमा अलंकार: परिभाषा, तत्व, और प्रकार Upma Alankar Ki Paribhasha

उपमा अलंकार Upma Alankar, हिंदी कविता और भाषा कला में एक अत्यंत महत्वपूर्ण अलंकार है, जो किसी वस्तु या व्यक्ति की विशेषताओं को दूसरे से जोड़कर, उनकी समानता या तुलना का चित्रण करता है। यह न केवल कविता को आकर्षक बनाता है, बल्कि शब्दों की गहरी समझ और दृश्यात्मकता भी प्रदान करता है। उपमा का मूल उद्देश्य है, दो चीजों के बीच समानता को दर्शाना, ताकि एक वस्तु का प्रभाव दूसरे के द्वारा व्यक्त हो सके।

“उपमा” शब्द का अर्थ है – तुलना, या समानता। जब हम एक वस्तु को दूसरी वस्तु के साथ गुण, धर्म, या क्रिया के आधार पर जोड़ते हैं, तो इसे उपमा कहा जाता है। यह अलंकार तब उत्पन्न होता है, जब किसी वस्तु की विशेषता या रूप को, किसी सरल या सामान्य वस्तु से जोड़ा जाता है। जैसे, जब किसी चेहरे को चाँद से सुंदर बताया जाता है, तो यह उपमा का उदाहरण होता है।

उपमा अलंकार के प्रमुख अंग: Upma Alankar ke Pramukh Ang

  1. उपमये: उपमये वह वस्तु या व्यक्ति होता है, जिसे उपमा दी जाती है – अर्थात वह जो तुलना के योग्य है। जब किसी वस्तु की समानता सरल या सामान्य वस्तु से की जाती है, तो उसे उपमये कहा जाता है। उदाहरण के लिए: मुख चाँद-सा सुंदर है – यहाँ “मुख” उपमये है।
  2. उपमान: उपमये को जिस वस्तु से तुलना की जाती है, उसे उपमान कहते हैं। यानी वह वस्तु या व्यक्ति जिससे समानता की जाती है, वह उपमान है। उदाहरण में “चाँद” को देखें – मुख चाँद-सा सुंदर है। यहाँ “चाँद” उपमान है।
  3. वाचक शब्द: जब उपमये और उपमान के बीच समानता का संबंध व्यक्त किया जाता है, तो उस शब्द को वाचक शब्द कहा जाता है। यह वह शब्द होता है, जो समानता का संकेत देता है। उदाहरण में “सा” शब्द वाचक शब्द है: मुख चाँद-सा सुंदर है
  4. साधारण धर्म: यह वह गुण या धर्म होता है, जो दो वस्तुओं में समानता को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाता है, भले ही वह दोनों में समान रूप से उपस्थित न हो। उदाहरण: मुख चाँद-सा सुंदर है – यहाँ “सुंदर” शब्द साधारण धर्म का उदाहरण है, जो दो वस्तुओं के बीच समानता दिखाता है।

उपमा अलंकार के उदाहरण Upma Alankar ke Udaharan

जब हम उपमा अलंकार Upma Alankar की बात करते हैं, तो यह वह काव्य रूप है, जो एक वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी दूसरी वस्तु या व्यक्ति से करता है, ताकि उनकी विशेषताओं को बेहतर तरीके से समझा जा सके। उपमा में कुछ विशेष घटक होते हैं, जैसे उपमेय, उपमान, समान धर्म और समानतावाचक शब्द। आइए कुछ उदाहरणों के माध्यम से इसे और स्पष्ट करें:

  1. प्रातः नभ था, बहुत गीला शंख जैसे।
    • यहाँ पर ‘नभ’ (आसमान) को शंख (संगीत का प्रतीक) से तुलना की जा रही है। उपमेय ‘नभ’ और उपमान ‘शंख’ हैं, जबकि समानतावाचक शब्द ‘जैसे’ और समान धर्म ‘गीला’ मौजूद है। यह पूरी काव्य पंक्ति उपमा अलंकार Upma Alankar को स्पष्ट करती है।
  2. मधुकर सरिस संत, गुन ग्राही।
    • इस उदाहरण में संत की तुलना मधुकर (मधुमक्खी) से की जा रही है। यहाँ उपमेय ‘संत’, उपमान ‘मधुकर’ और समान धर्म ‘गुन ग्राही’ हैं। यह पंक्ति उपमा अलंकार Upma Alankar को प्रस्तुत करती है, जहाँ संत के गुणों को मधुकर की समानता में दर्शाया गया है।
  3. लाल किरण-सी चोंच खोल।
    • चोंच को लाल किरण से तुलना की गई है। यह एक सजीव उपमा है, जो चोंच के रंग और आकार की दृश्यता को और भी प्रभावशाली बना देती है।
  4. नील गगन-सा शांत हृदय था सो रहा।
    • यह पंक्ति चारों अंगों से संपन्न है: उपमेय ‘हृदय’, उपमान ‘नील गगन’, समान धर्म ‘शांत’ और वाचक शब्द ‘सा’। यहाँ उपमा अलंकार Upma Alankar पूरी तरह से स्थापित है, जो हृदय की शांति को आकाश की शांतिमय स्थिति से जोड़ता है।
  5. कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा।
    • इस काव्य पंक्ति में वचन (उपमेय) और कुलिस (उपमान) की तुलना की जा रही है। यहाँ समान धर्म का अभाव है, लेकिन उपमा Upma Alankar का प्रयोग स्पष्ट है। वचन की कठोरता को कुलिस की कठोरता से समान बताया गया है।
  6. हिरनी से मीन से, सुखखंजन समान चारु, अमल कमल से, विलोचन तिहारे हैं।
    • नेत्रों की तुलना कई सुंदर और विशिष्ट रूपों से की गई है। यहाँ ‘हिरनी’, ‘मीन’, ‘सुखखंजन’ और ‘अमल कमल’ के माध्यम से नेत्रों के रूप और सुंदरता को दर्शाया गया है, जिससे उपमा अलंकार Upma Alankar की विविधता उभर कर सामने आती है।
  7. मखमल के झूले पड़े हाथी सा टीला।
    • टीले की तुलना हाथी से की गई है, जो न केवल आकार में बल्कि महिमा में भी समानता दर्शाता है। यह उपमा अलंकार Upma Alankar की विशेषता को दर्शाता है, जिसमें प्राकृतिक रूपों की विविधता का मेल होता है।
  8. तब बहता समय शिला सा जम जायेगा।
    • समय की तुलना शिला (पत्थर) से की गई है, जो समय के ठहराव और स्थिरता को व्यक्त करती है। इस काव्य पंक्ति में गहरी दार्शनिकता छिपी हुई है, जो समय के प्रवाह और स्थायित्व को जोड़ती है।
  9. सहसबाहु सम रिपु मोरा।
    • शत्रु को सहस्त्रबाहु (हजार हाथों वाले) के समान माना गया है, जिससे उसकी शक्तियों और प्रभाव का आभास होता है। यह उपमा अलंकार शत्रु के भयंकर रूप को और अधिक भयावह बना देता है।
  10. चाँद की सी उजली जाली।
    • चाँद की तुलना जाली (जालीदार वस्त्र) से की गई है। यह उपमा अलंकार Upma Alankar चाँद की चमक और उसके हल्के आसमान में समाहित होने के रूप को और अधिक उजागर करता है।
Upma Alankar

उपमा अलंकार के प्रकार Upma Alankar ke Prakar

  1. पूर्णोपमा अलंकार: यह अलंकार अपने सम्पूर्ण रूप में अपनी विविधता और सौंदर्य को प्रकट करता है। इसमें उपमा के चारों अंग – उपमये, उपमान, वाचक शब्द और साधारण धर्म सभी उपस्थित होते हैं। यहाँ पर किसी वस्तु की तुलना एक अन्य वस्तु से की जाती है, जो वाक्य में प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित नहीं होती, मगर उसकी महिमा और विशिष्टता को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाता है। जैसे, “समुद्र सा गंभीर दृढ़ हो, गर्जन सा ऊँचा हो जिसका मन।” इस वाक्य में उपमा की सभी विशेषताएँ विद्यमान हैं, और गहरी तुलना के माध्यम से व्यक्तित्व की विशालता और शक्ति को चित्रित किया गया है।
  2. लुप्तोपमा अलंकार: जब उपमा के चार अंगों में से कोई एक घटक गायब हो जाता है, तो वह लुप्तोपमा अलंकार कहलाता है। यहां पर यह उपमा कुछ हद तक छुपी होती है, और उसकी अभिव्यक्ति में एक अस्पष्टता होती है। यह अलंकार तब काम आता है जब सीधे तौर पर तुलना की बजाय, एक अंग का अभाव दर्शाने से एक सूक्ष्म और अदृश्य रूप में अर्थ व्यक्त होता है। जैसे, “कपना सी अत्यंत कोमल।” यहाँ पर “कपना सी” शब्दांश में उपमा के दो प्रमुख अंग छुपे हुए हैं, और “अत्यंत कोमल” को प्रत्यक्ष रूप से किसी वस्तु से तुलना किए बिना अभिव्यक्त किया गया है। इस लुप्तोपमा में उपमेय की सूक्ष्मता और इसके निहित अर्थ में एक प्रकार की अंतरदृष्टि और गहरी सोच छिपी हुई होती है।

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