श्लेष अलंकार किसे कहते हैं Slash Alankar Kise Kahate Hain
“श्लेष” का अर्थ है कुछ ऐसा जो आपस में जुड़ा हुआ है, एक-दूसरे से चिपका हुआ है। श्लेष अलंकार का सौंदर्य इसी में निहित है कि इसमें ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिनके एक नहीं, बल्कि कई अर्थ होते हैं, और इस बहुआयामीता का उपयोग करके कवि या लेखक अपने रचनाओं में गहराई एवं अर्थविस्तार जोड़ते हैं। श्लेष अलंकार न केवल साहित्य को सौंदर्य प्रदान करता है बल्कि पाठक या श्रोता को एक अर्थपूर्ण अनुभव में डूबो देता है, जहाँ वे अपने विवेक का प्रयोग करके विभिन्न अर्थों की परतों को समझते हैं।
उदाहरण स्वरूप, “राम बाण चलाते हैं” – यहाँ ‘राम’ शब्द एक सामान्य व्यक्ति का भी संकेत कर सकता है, और प्रभु राम का भी। इस प्रकार, एक ही वाक्य में एक से अधिक अर्थ समाहित हो जाते हैं, जो श्लेष अलंकार Slash Alankar का सार प्रस्तुत करते हैं। यह शैली पाठक को अर्थ की विभिन्न दिशाओं में सोचने के लिए प्रेरित करती है।
श्लेष अलंकार की परिभाषा Slash Alankar Ki Paribhasha
श्लेष अलंकार Slash Alankar का सरल परिभाषा में तात्पर्य है, जब कोई एक शब्द केवल एक बार प्रयोग होता है, किन्तु उसके अनेक अर्थ निकलते हैं। एक वाक्य में एक से अधिक अर्थों की प्रतीति होती है, वह श्लेष अलंकार की छवि प्रस्तुत करता है। इस अलंकार में दो बातें मुख्य हैं: प्रथम, शब्द के एक से अधिक अर्थ हों; और द्वितीय, प्रकरण में वे सभी अर्थ अपेक्षित हों।
श्लेष अलंकार के उदाहरण Slash Alankar Ke
Udaharan
- “माया महाठगिनि हम जानी।”
यहाँ ‘तिरगुन’ शब्द में श्लेष की अद्भुत योजना की गयी है। एक ओर तिरगुन का अर्थ तीन गुण- सत्त्व, रजस्, तमस् होता है; और दूसरी ओर इसका अर्थ तीन धागों वाली रस्सी भी निकलता है। इस प्रकार माया की महाठगिनी विशेषता को यहाँ गहनता से दर्शाया गया है। - “चिड़िया चुग गई खेत, बाग़ बगिचे घूम।”
यहाँ ‘चिड़िया’ का दोहरे अर्थ में प्रयोग किया गया है – एक अर्थ ‘पक्षी’ का है तो दूसरा ‘खेत का हिस्सा’ दर्शाता है। इस प्रकार एक वाक्य में दोनों अर्थ प्रभावशाली ढंग से प्रकट हो जाते हैं। - “अबकी बार, मोदी सरकार। अबकी बार, विकास का संकल्प।”
‘अबकी बार’ में एक हिंदी कहावत का भाव समाहित है, जो ‘इस बार’ अथवा ‘फिर से’ का अर्थ प्रकट करता है, और दोनों पंक्तियों में यह दो अलग-अलग संदर्भों में प्रयुक्त हुआ है। - “दिल तोड़ा, इसकी सजा, आज भुगत रहा है।”
‘सजा’ शब्द का यहाँ श्लेष का अद्भुत प्रयोग हुआ है। इसका एक अर्थ दंड या प्रतिफल का होता है, तो दूसरा सजावट का भी हो सकता है। दोनों अर्थों में इसे एक ही भाव में दर्शाया गया है। - “सूरज निकला पश्चिम से, सूरज डूबा पूर्व को।”
इस पंक्ति में ‘सूरज’ शब्द का श्लेष अलंकार से प्रयोग हुआ है। ‘सूरज’ का एक अर्थ सूर्य होता है, जबकि दूसरा अर्थ राजकुमार का भी होता है, जो इस वाक्य में दोहरी व्याख्या को जन्म देता है। - “सवर्ग से ऊँचा विकास, स्वच्छता है संकल्प।”
‘संकल्प’ का यहाँ द्विअर्थी रूप से प्रयोग हुआ है – एक अर्थ ‘इच्छा’ का और दूसरा ‘विकास’ का है, जो इस पंक्ति को अर्थव्याप्त और प्रभावी बनाता है।
श्लेष अलंकार के भेद Slash Alankar Ke Bhed
श्लेष अलंकार Slash Alankar, जो भाषा की गहराई और बारीकी को प्रकट करने का अद्वितीय तरीका है, कुल मिलाकर दो प्रमुख भेदों में बंटता है। इन भेदों में न केवल शब्दों का अर्थ, बल्कि उनके विभिन्न संदर्भों का खेल भी शामिल होता है। ये भेद हैं:
- अभंग श्लेष
- सभंग श्लेष
अब, इन दोनों भेदों को समझते हैं, जहाँ शब्दों की शक्ति और उनका द्वैतार्थी रूप सामने आता है।
अभंग श्लेष
क्या आपने कभी महसूस किया है कि कोई शब्द, बिना बदले, विभिन्न अर्थों से जुड़ सकता है? ठीक वही स्थिति तब उत्पन्न होती है जब हम अभंग श्लेष की बात करते हैं। यहां पर, शब्द बिना किसी परिवर्तन के अपने कई अर्थ व्यक्त करते हैं। इस प्रकार का श्लेष शब्द के बहु-आयामी रूप को प्रदर्शित करता है, जैसे एक ही शब्द से दो-तीन अर्थ सामने आ सकते हैं, जो भिन्न-भिन्न संदर्भों में समान रूप से सटीक बैठते हैं।
उदाहरण:
“रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती, मानुस, चून।”
- रहीम
यहां ‘पानी’ शब्द एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह न केवल ‘जल’ के अर्थ में आता है, बल्कि इसके अतिरिक्त ‘कांति’ और ‘सम्मान’ जैसे अर्थों का भी बोध कराता है। पानी के इन तीनों अर्थों को बगैर किसी तोड़-फोड़ के, एक ही शब्द में समाहित किया गया है। इसलिए इसे अभंग श्लेष अलंकार Slash Alankar कहा जाता है। शब्द वही है, लेकिन इसके अर्थ अनेक हैं, और यह बिना किसी विघटन के जटिलता और गहराई पैदा करता है।
सभंग श्लेष
अब, दूसरी ओर, सभंग श्लेष में शब्द के अर्थ को निकालने के लिए उसे तोड़ा-मरोड़ा जाता है। इसमें, शब्द का विश्लेषण और पुनः संयोजन किया जाता है ताकि उस शब्द के भीतर से विभिन्न अर्थों का उद्घाटन किया जा सके। यह अलंकार शब्दों के निर्माण और पुनः संयोजन का एक खेल है, जो रचनात्मकता और साहित्यिक कौशल का उत्कृष्ट उदाहरण है।
उदाहरण:
“सखर सुकोमल मंजु, दोषरहित दूषण सहित।”
- तुलसीदास
यहां पर ‘सखर’ शब्द का दोहरा अर्थ सामने आता है। एक अर्थ है कठोर, और दूसरा अर्थ निकलता है जब हम इसे तोड़ते हैं और जोड़ते हैं – ‘खर’ और ‘स’ को जोड़कर। यह व्याख्या ‘सभंग श्लेष’ का अद्भुत उदाहरण है। शब्द के दो भिन्न अर्थों को जन्म देने के लिए उसके तत्वों को जोड़ने और अलग करने का यह तरीका श्लेष अलंकार Slash Alankar का जादू है।
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