Yamak Alankar ka Arth || Paribhasha || 10 important Udaharan

यमक अलंकार का अर्थ Yamak Alankar ka Arth

यमक अलंकार Yamak Alankar का अर्थ है ‘युग्म’—यानी एक शब्द का दोहराव, मगर हर बार उसका भिन्न-भिन्न अर्थ प्रस्तुत होता है। इस अलंकार की विशेषता यह है कि शब्दों की पुनरावृत्ति के बावजूद हर बार एक नया अर्थ उभरता है। यमक अलंकार Yamak Alankar से वाक्यों में न केवल सौंदर्य बढ़ता है, बल्कि इनमें गहराई और भावना का ऐसा संचार होता है, जो पाठकों को सोचने और महसूस करने पर मजबूर कर देता है। साहित्य की इस अलंकार विधा का प्रयोग अक्सर कविताओं, गीतों, गद्यांशों और नाटकों में किया जाता है, जिससे रचना का प्रभाव और भी सजीव हो जाता है।

यमक अलंकार की परिभाषा Yamak Alankar ki Paribhasha

यमक अलंकार Yamak Alankar उस अलंकारिक शैली का नाम है, जिसमें दो या उससे अधिक बार किसी एक ही शब्द का प्रयोग किया जाता है, लेकिन हर बार उसका अर्थ भिन्न होता है। यह अलंकार उस जादू की तरह है, जो एक ही शब्द को कई भावों से भर देता है। शब्दों का यह दोहराव वाक्य में सजीवता और गहराई लाता है, जिससे साहित्यिक रचना एक रसमयी अभिव्यक्ति बन जाती है।

Yamak Alankar

यमक अलंकार के उदाहरण Yamak Alankar ke Udaharan

यमक अलंकार Yamak Alankar के उदाहरण

  1. तोपर वारौं उर बसी, सुन राधिके सुजान। तू मोहन के उर बसी वै उरबसी समान।
    इस पंक्ति में “उरबसी” शब्द तीन बार आया है, जिसमें प्रत्येक बार इसके अलग-अलग अर्थ हैं, जो कविता में गहराई जोड़ते हैं। यह उदाहरण यमक अलंकार का अनूठा नमूना है जहाँ शब्द की पुनरावृत्ति से भावों का वैचित्र्य उभरता है।
  2. ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहन वारी। ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाती है।
    यहां “मंदर” और “अंदर” शब्दों की पुनरावृत्ति ने कविता में एक लयात्मकता लाई है। शब्दों की पुनरावृत्ति के साथ ही उनका प्रयोग एक नए संदर्भ में किया गया है, जो कविता में यमक अलंकार की विशेषता को बढ़ाता है।
  3. माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डारि दै मन का मनका फेर।
    इस उदाहरण में “मनका” शब्द दो बार आया है। पहले अर्थ में यह माला का मनका है और दूसरे में मन के बदलने का प्रतीक। यह भाव परिवर्तन और शब्द चातुर्य का अनुपम उदाहरण है।
  4. किसी सोच में हो विभोर साँसें कुछ ठंडी खिंची। फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों आँखें मिंची।
    यहां “दिया” शब्द दो बार आया है। एक बार यह दिया जलाने का प्रतीक है, और दूसरे बार यह रौशनी देने के संदर्भ में है। यह अनूठा प्रयोग कविता में नए अर्थों का संचार करता है।
  5. जिसकी समानता किसी ने कभी पाई नहीं। पाई के नहीं हैं अब वे ही लाल माई के।
    इस उदाहरण में “पाई” शब्द की दो अलग-अलग अर्थों में पुनरावृत्ति हुई है, जो इसे यमक अलंकार का सटीक उदाहरण बनाती है। शब्दों के विभिन्न अर्थों ने वाक्य को अर्थपूर्ण बना दिया है।
  6. भजन कह्यौ ताते भज्यौ, भज्यौ न एको बार। दूरि भजन जाते कह्यौ, सो तू भज्यौ गँवार।
    इस वाक्य में “भज्यौ” शब्द का दो बार उपयोग हुआ है, जिससे यमक अलंकार की विशेषता स्पष्ट हो रही है। दोनों बार इस शब्द का प्रयोग अलग संदर्भ में किया गया है, जो कविता में एक नई गहराई जोड़ता है।
  7. वह बाँसुरी की धुनि कानि परे, कुल कानि हियो तजि भाजति।
    “कानि” शब्द की दो बार आवृत्ति ने पंक्ति को गूढ़ अर्थ प्रदान किया है। पहले “कानि” का अर्थ है “कान,” जबकि दूसरे “कानि” का अर्थ है “मर्यादा”। इस तरह से शब्द का खेल करते हुए यमक अलंकार को प्रस्तुत किया गया है।
  8. कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। वा खाये बौराय नर वा पाये बौराय।
    यहाँ “कनक” शब्द दो बार आया है, जहाँ पहले “कनक” का अर्थ है धतूरा और दूसरे “कनक” का अर्थ है सोना। इस प्रकार की पुनरावृत्ति ने कविता में अलंकारिक सौंदर्य को बढ़ाया है।
  9. आँखों में आँखें डालकर, दिल ने मोह लिया।
    इस वाक्य में “आँखों” और “आँखें” शब्दों का दोहराव, जो एक रोमांचक और भावुक छवि प्रस्तुत करता है। यह यमक अलंकार का जीवंत उदाहरण है जहाँ शब्द दोहराए गए हैं परन्तु भाव अलग-अलग हैं।
  10. हरि बोल बोल, गोपाल बोल राधा रमण श्याम बोल।
    यहां “बोल” शब्द की पुनरावृत्ति ने भगवान के नामों के गुणगान में एक संगीतात्मक प्रभाव डाला है, जो कविता को और भी मनमोहक बना रहा है।

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