8. छोटा साया | Small Shadow
राहुल का घर गाँव के बाहरी हिस्से में था, जहाँ बड़े-बड़े बगीचे और पेड़-पौधे थे। उसके घर के सामने एक छोटा सा बगीचा था, जहाँ राहुल अक्सर खेला करता था। लेकिन पिछले कुछ दिनों से, उसे बगीचे में एक अजीब साया दिखाई देने लगा था। साया Shadow कभी छोटा दिखता, कभी थोड़ा बड़ा, पर जब भी राहुल उसे गौर से देखता, वह गायब हो जाता।
राहुल ने इसे शुरू में नजरअंदाज़ किया, सोचते हुए कि यह उसकी आँखों का धोखा है। लेकिन एक रात, जब वह सो रहा था, उसे लगा कि कोई उसकी खिड़की के बाहर चल रहा है। उसने धीरे से खिड़की का पर्दा हटाया और देखा—वही छोटा साया Small Shadow उसके बगीचे में घूम रहा था। राहुल का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, लेकिन उसने हिम्मत जुटाई & बाहर जाने का फैसला किया।
राहुल धीरे-धीरे बाहर गया, ठंडी हवा उसे महसूस हो रही थी। बगीचे में घुसते ही, उसे वही साया Shadow फिर से दिखाई दिया। साया Shadow उसके पास आ रहा था। राहुल डर के मारे पीछे हटने लगा। लेकिन तभी, वह साया Shadow एकदम से रुक गया। वह अब एक छोटे बच्चे का रूप ले चुका था। बच्चे की आँखों में अजीब चमक थी, मानो कुछ कहना चाहता हो।
राहुल ने कांपते हुए पूछा, “त… तुम कौन हो?”
बच्चा बोला, “मैं इस घर में बहुत पहले रहता था। मैं अपने खिलौने की तलाश में हूँ, जो यहाँ कहीं खो गया था।”
राहुल चौंक गया, उसने कभी इस बारे में नहीं सुना था। “तुम्हारा खिलौना? कैसा खिलौना?”
बच्चा बोला, “एक छोटी सी लकड़ी की गाड़ी थी, जिसे मैं बहुत प्यार करता था। लेकिन एक दिन वह गायब हो गई और तब से मैं उसे ढूंढ रहा हूँ।”
राहुल ने घर के पुराने कोनों में खोजबीन करने का निश्चय किया। अगले दिन, उसने अपने पुराने स्टोर रूम में जाकर देखा। वहाँ धूल से ढकी एक पुरानी लकड़ी की गाड़ी पड़ी थी। यह वही गाड़ी थी, जिसका बच्चा जिक्र कर रहा था।
राहुल ने वह गाड़ी उठाई और रात होते ही उसे बगीचे में ले गया। वहाँ वह साया Shadow फिर से दिखा। जैसे ही राहुल ने गाड़ी को बच्चे के सामने रखा, वह मुस्कुराया और धीरे-धीरे गायब हो गया।
उस रात के बाद, राहुल को फिर कभी वह साया नहीं दिखा। वह समझ गया था कि उस छोटे साये को उसका खिलौना वापस मिल गया था और अब वह चैन से जा चुका था।
यह कहानी बच्चों को न सिर्फ रोमांचित करेगी, बल्कि उन्हें यह भी सिखाएगी कि पुरानी वस्तुओं में भी कभी-कभी बड़े रहस्य छिपे होते हैं।
9. बच्चों के खेल का भूत
गाँव की एक शांत और संकरी गली थी, जहाँ हर शाम बच्चे इकट्ठा होकर खेलते थे। गली के कोने में एक पुरानी हवेली थी, जो बरसों से वीरान पड़ी थी। लोग कहते थे कि वहाँ कुछ अजीब होता है, पर बच्चों ने कभी उस पर ध्यान नहीं दिया। उनके लिए हवेली सिर्फ एक पुरानी, खंडहर-सी इमारत थी।
एक दिन, बच्चों ने नया खेल शुरू किया। खेल का नियम था कि जो भी सबसे पहले हवेली के अंदर जाकर छुपेगा, वो विजेता बनेगा। उनमें से एक लड़का, अर्जुन, बड़ा साहसी था। वह हमेशा सबसे आगे रहता और इस बार भी उसने बिना सोचे-समझे हवेली की तरफ दौड़ लगा दी। बाकी बच्चे बाहर खड़े होकर उसका इंतज़ार कर रहे थे।
अर्जुन हवेली के अंदर गया, पर कुछ देर बाद उसकी कोई आवाज़ नहीं आई। बच्चों ने सोचा कि शायद वह किसी कोने में छिपा होगा। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, अर्जुन बाहर नहीं आया। बाकी बच्चों ने हवेली के अंदर जाकर उसे ढूंढने का फैसला किया। पर जब वे अंदर पहुंचे, तो वहाँ अर्जुन का कोई नामोनिशान नहीं था। हवेली की दीवारें सन्नाटे में डूबी थीं, और हर तरफ़ धूल जमी हुई थी। अर्जुन गायब हो गया था। बच्चे डर गए और भागकर अपने घर लौट आए। उन्होंने अर्जुन के माता-पिता को बताया, लेकिन अर्जुन का कोई सुराग नहीं मिला। पूरा गाँव उसे ढूंढने में जुट गया,….Read More
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